Saturday, December 26, 2009

नए सूरज का आह्वान

एक नए सूरज का आह्वान करता हूँ, अपनी समस्त ऊर्जा तेरे नाम करता हूँ,
पलों को दिनों की तरह जिया है जिसने, अपने भाग की थोड़ी जिन्दगी उसके नाम करता हूँ,
अवाक् रह गए हैं जो इस दुनिया की भीड़ में, दो कदम उनके साथ चलने का ऐलान करता हूँ,
पगडंडियों को रास्ते ना बना पाए जो बरसों से, मैं अपने सारे रास्ते उनके नाम करता हूँ,
सर्द हवा के झोंके से जिनकी रूह काँपे, अपने आराम के सारे लिहाफ आज ही उनके हाथ धरता हूँ,
रखता हूँ ये उम्मीद आप सभी से मैं, जो मैं ना कर पाऊं इस जन्म में अपने हाथों से,
वो सारे काम मैं आपके नाम करता हूँ.
बदसूरत हो चली इंसानियत को, चंगुल से तेरे छुड़ाने को, एक और नया साल तेरे नाम करता हूँ.
नमन करता हूँ नए साल को, चुनोतियाँ आने तो दो, देखो अगले साल मैं क्या धमाल करता हूँ.